अखिलेश यादव के परिवार से कितने लोग लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, इस बात की समाजवादी पार्टी यानी सपा के अंदर और बाहर खूब चर्चा हो रही है. पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनाव लड़ेंगे या वे बस चुनाव प्रचार करेंगे इस पर अभी कुछ तय नहीं है. उनकी सांसद पत्नी डिंपल यादव को पिछली बार मजबूरी में चुनाव लड़ना पड़ा था. मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट खाली हो गई थी. मुलायम परिवार उस सीट से उनके चचेरे पोते तेज प्रताप यादव को चुनाव लड़वाना चाहता था, पर कुछ लोगों के विरोध के बाद डिंपल को ही टिकट मिल गया, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में डिंपल पार्टी का रोल स्टार प्रचारक का ही था.
अखिलेश यादव के परिवार से दो लोगों की टिकट पक्की हो गई है. अखिलेश के चचेरे भाई अक्षय यादव को फिरोजाबाद से चुनाव लड़ने को कहा गया है. उन्होंने अपना चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है. वे पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव के बेटे हैं. रामगोपाल रिश्ते में अखिलेश यादव के चाचा लगते हैं. अक्षय यादव पहले भी फिरोजाबाद से एमपी रह चुके हैं. पिछली बार उनके चाचा शिवपाल यादव उनके खिलाफ खड़े हो गए थे. इस चक्कर में फिरोजाबाद से बीजेपी जीत गई थी.
धर्मेंद्र यादव बदायूं से लड़ेंगे चुनाव
अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव फिर बदायूं से चुनाव लड़ेंगे. वे वहां से दो बार सांसद रह चुके हैं. अखिलेश यादव ने उन्हें फिर से वहीं से चुनाव लड़ने को कह दिया है. अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव भी लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं. उनकी नजर आजमगढ़ सीट पर है. शिवपाल लोकसभा चुनाव लड़कर अपने बेटे आदित्य के लिए जगह बनाने के मूड में हैं. वे चाहते हैं कि उनकी खाली की हुई जसवंतनगर सीट से बेटा आदित्य विधानसभा पहुंच जाए.
पहले चर्चा थी कि शिवपाल यादव आजमगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. यहां से मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव भी सांसद रह चुके हैं. शिवपाल यादव ने आजमगढ़ का दौरा कर इस चाचा को और हवा दे दी, लेकिन अब शिवपाल यादव के लिए प्लानिंग बदल गई है. परिवार के सूत्रों का कहना है कि उन्हें संत कबीर नगर से चुनाव लड़ाने पर विचार हो रहा है. यहां से संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद बीजेपी के सांसद हैं.
क्या अखिलेश यादव लड़ेंगे आजगढ़ से चुनाव?
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद से अखिलेश यादव अपना पुराना हिसाब भी इसी बहाने चुकता करना चाहते हैं. संजय निषाद पहले अखिलेश यादव के साथ थे. उनके बेटे प्रवीण समाजवादी पार्टी के टिकट पर गोरखपुर से लोकसभा का उप चुनाव जीते थे. पिछले चुनाव में प्रवीण निषाद संत कबीर नगर से 35 हजार वोटों से ही जीत पाए थे. कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे भालचंद्र यादव को 1 लाख 28 हजार वोट मिल गए थे. अब वे समाजवादी पार्टी के साथ हैं. ऐसे में बदले हुए राजनीतिक हालात में शिवपाल का पलड़ा भारी पड़ सकता है.
कुछ ही दिनों पहले अखिलेश यादव ने आजमगढ़ का दौरा किया था. तब वहां पर उन्होंने इलाके के समाजवादी पार्टी के नेताओं से मुलाकात की थी. पार्टी के सभी विधायकों से मिले थे. सबने अखिलेश से आजमगढ़ से ही चुनाव लड़ने की अपील की. बताया जाता है कि अखिलेश यादव ने मुस्कुराते हुए अपनी रजामंदी दे दी थी. वैसे तो समाजवादी पार्टी डेढ़ साल पहले हुए उप चुनाव में यहां से हार चुकी है. आम चुनाव 2019 में अखिलेश यादव यहां से एमपी बने थे. बाद में विधायक बनने के बाद उन्होंने ये सीट छोड़ दी थी.
अखिलेश यादव दो सीटों पर चुनाव लड़ने के मूड में
पिछले उप चुनाव में बीएसपी के चुनाव लड़ने से मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो गया था. अब ये सीट अखिलेश यादव के लिए सेफ है. अखिलेश के एक बेहद करीबी नेता ने बताया कि अखिलेश इस बार कन्नौज से भी लड़ने की तैयारी में हैं. पिछली बार डिंपल यादव बीजेपी से महज 12 हजार वोटों से हार गई थीं. बीजेपी के सुब्रत पाठक यहां से बीजेपी के सांसद हैं. परिवार के एक सदस्य ने बताया कि अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने से बीजेपी की पोजीशन खराब हो सकती है. इसका मतलब ये है कि अखिलेश यादव इस बार एक साथ दो सीटों से चुनाव लड़ने के मूड में हैं.